15 अगस्त 2012

१५ अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर कविता -आजाद तो पंछी हैं (azad to panchhi hain-a hindi poem kavita on 15 ogust swatantrata diwas par or 15 agust independent day)

आजाद तो पंछी हैं
चाहे जहां उड़ जाते हैं,
इंसान का मन उड़ता है
पर लाचार देह में पंख कहां
जुड़ पाते हैं।
कहें दीपक बापू
औकात से ज्यादा
कामयाबी पाने की ख्वाहिश
मतलबपरस्ती के साथ जीने की आदत
सपना इज्जतदार कहलाने का
हर आदमी इंसान गुलाम अपने दिल का
जुबां से उगलते लफ्ज जहर की तरह
प्यारे बोल का अब गुड़ कहां पाते हैं। 
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लेखक एवं कवि- दीपक राज कुकरेजा,‘‘भारतदीप’’, ग्वालियर
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior

writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior



1 टिप्पणी:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 15 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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