29 दिसंबर 2015

वेदना संवेदना-हिन्दी कविता(Vedna Sanvedna-Hindi Kavita)

किताब की शब्द पंक्ति
जिंदगी की राह
आसान नहीं करती।

तख्तियों पर लिखे नारे लगाती
भीड़ बहुत होने पर भी
बदलाव नहीं करती।

कहें दीपकबापू हृदय में
पल रही वेदनाओं के साथ
जीने की आदत
 बहुत शोर मचाती
कभी मस्तिष्क में
संवेदना नहीं भरती।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

20 दिसंबर 2015

इच्छा घेर ही लेती है-हिन्दी शायरी(Ichchha Gher hi leti hai-Hindi Shayri)

कनखियों से हम पर
नज़र वह कभी कभी डालते
तसल्ली हुई यह जानकर
उस भीड़ में वह शामिल नहीं
जो मुंह फेर लेती है।

दीपकबापू जिंदा रहने के लिये
बहाने ढूंढने को मजबूर नहीं
तारीफ की चाहत से दूर कहीं
फिर भी मनोरम आंखें देखें
कुछ पल के लिये
यह इच्छा घेर ही लेती है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

10 दिसंबर 2015

विषाक्त हवा-हिन्दी कविता(Vishakt Hawa-Hindi Kavita)

जिंदा लोगों से बेपरवाह
मुर्दों की निशानी पर
सिर झुकाते हैं।

जरुरतमंद के दर्द से
अनजान भरे पेट पर
अन्न लुटाते हैं।

कहें दीपकबापू बेबसी पर
हंसने वाले
भूत से खाते भय
चलती सांस का मोल
जानते नहीं
विषाक्त हवा पर
अपना दिल लुटाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

2 दिसंबर 2015

जीने की आदत-हिन्दी कविता (Jine Ki Adat-HindiKavita)

कोई भूले बुरे दिन
लोग याद दिलाकर
घाव हरे कर जाते हैं।

किसी की खुशी पसंद नहीं
सभी गम बढ़ाने का
भाव भरे घर आते हैं।

कहें दीपकबापू आनंद से
जीने की आदत अपनी
उनका क्या परवाह करना
जिंदगी के समंदर में डूबने
नाव परे कर आते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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